آیه :
1
وَٱلشَّمۡسِ وَضُحَىٰهَا
सूरज की क़सम! तथा उसके ऊपर चढ़ने के समय की क़सम!
آیه :
2
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا تَلَىٰهَا
तथा चाँद की (क़सम), जब वह सूरज के पीछे आए।
آیه :
3
وَٱلنَّهَارِ إِذَا جَلَّىٰهَا
और दिन की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को प्रकट कर दे!
آیه :
4
وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَغۡشَىٰهَا
और रात की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को ढाँप ले।
آیه :
5
وَٱلسَّمَآءِ وَمَا بَنَىٰهَا
और आकाश की तथा उसके निर्माण की (क़सम)।
آیه :
6
وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا طَحَىٰهَا
और धरती की तथा उसे बिछाने की (क़सम!)[1]
آیه :
7
وَنَفۡسٖ وَمَا سَوَّىٰهَا
और आत्मा की तथा उसके ठीक-ठाक बनाने की (क़सम)।
آیه :
8
فَأَلۡهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقۡوَىٰهَا
फिर उसके दिल में उसकी बुराई और उसकी परहेज़गारी (की समझ) डाल दी।[2]
آیه :
9
قَدۡ أَفۡلَحَ مَن زَكَّىٰهَا
निश्चय वह सफल हो गया, जिसने उसे पवित्र कर लिया।
آیه :
10
وَقَدۡ خَابَ مَن دَسَّىٰهَا
तथा निश्चय वह विफल हो गया, जिसने उसे (पापों में) दबा दिया।[3]
آیه :
11
كَذَّبَتۡ ثَمُودُ بِطَغۡوَىٰهَآ
समूद (की जाति) ने अपनी सरकशी के कारण झुठलाया।
آیه :
12
إِذِ ٱنۢبَعَثَ أَشۡقَىٰهَا
जब उसका सबसे दुष्ट व्यक्ति उठ खड़ा हुआ।
آیه :
13
فَقَالَ لَهُمۡ رَسُولُ ٱللَّهِ نَاقَةَ ٱللَّهِ وَسُقۡيَٰهَا
तो अल्लाह के रसूल ने उनसे कहा : अल्लाह की ऊँटनी और उसके पीने की बारी का ध्यान रखो।
آیه :
14
فَكَذَّبُوهُ فَعَقَرُوهَا فَدَمۡدَمَ عَلَيۡهِمۡ رَبُّهُم بِذَنۢبِهِمۡ فَسَوَّىٰهَا
परंतु उन्होंने उसे झुठलाया और उस (ऊँटनी) की कूँचें काट दीं, तो उनके पालनहार ने उनके गुनाह के कारण उन्हें पीस कर विनष्ट कर दिया और उन्हें मटियामेट कर दिया।
آیه :
15
وَلَا يَخَافُ عُقۡبَٰهَا
और वह उसके परिणाम से नहीं डरता।[4]