आयत :
1
أَرَءَيۡتَ ٱلَّذِي يُكَذِّبُ بِٱلدِّينِ
(ऐ नबी!) क्या आपने उसे देखा, जो बदले के दिन को झुठलाता है?
आयत :
2
فَذَٰلِكَ ٱلَّذِي يَدُعُّ ٱلۡيَتِيمَ
तो यही है, जो अनाथ (यतीम) को धक्के देता है।
आयत :
3
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ
तथा ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता है।[1]
आयत :
4
فَوَيۡلٞ لِّلۡمُصَلِّينَ
तो विनाश है उन नमाज़ियों के लिए,[2]
आयत :
5
ٱلَّذِينَ هُمۡ عَن صَلَاتِهِمۡ سَاهُونَ
जो अपनी नमाज़ से लापरवाह हैं।
आयत :
6
ٱلَّذِينَ هُمۡ يُرَآءُونَ
वे जो दिखावा करते हैं।
आयत :
7
وَيَمۡنَعُونَ ٱلۡمَاعُونَ
तथा साधारण बरतने की चीज़ भी माँगने से नहीं देते।[3]