क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद

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سورة الانشقاق - सूरह अल-इन्शिक़ाक़

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आयत : 1
إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتۡ
जब आकाश फट जाएगा।
आयत : 2
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगा और यही उसके योग्य है।
आयत : 3
وَإِذَا ٱلۡأَرۡضُ مُدَّتۡ
तथा जब धरती फैला दी जाएगी।
आयत : 4
وَأَلۡقَتۡ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتۡ
और जो कुछ उसके भीतर है, उसे निकाल बाहर फेंक देगी और खाली हो जाएगी।
आयत : 5
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगी और यही उसके योग्य है।[1]
1. (1-5) इन आयतों में प्रलय के समय आकाश एवं धरती में जो हलचल होगी उसका चित्रण करते हुए यह बताया गया है कि इस ब्रह्मांड के विधाता के आज्ञानुसार ये आकाश और धरती कार्यरत हैं और प्रलय के समय भी उसी की आज्ञा का पालन करेंगे। धरती को फैलाने का अर्थ यह है कि पर्वत आदि खंड-खंड होकर समस्त भूमि चौरस कर दी जाएगी।
आयत : 6
يَٰٓأَيُّهَا ٱلۡإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدۡحٗا فَمُلَٰقِيهِ
ऐ इनसान! निःसंदेह तू कठिन परिश्रम करते-करते अपने पालनहार की ओर जाने वाला है, फिर तू उससे मिलने वाला है।
आयत : 7
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ
फिर जिस व्यक्ति को उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया।
आयत : 8
فَسَوۡفَ يُحَاسَبُ حِسَابٗا يَسِيرٗا
तो उसका आसान हिसाब लिया जाएगा।
आयत : 9
وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورٗا
तथा वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश लौटेगा।
आयत : 10
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهۡرِهِۦ
और लेकिन जिसे उसका कर्मपत्र उसकी पीठ के पीछे दिया गया।
आयत : 11
فَسَوۡفَ يَدۡعُواْ ثُبُورٗا
तो वह विनाश को पुकारेगा।
आयत : 12
وَيَصۡلَىٰ سَعِيرًا
तथा जहन्नम में प्रवेश करेगा।
आयत : 13
إِنَّهُۥ كَانَ فِيٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا
निःसंदेह वह अपने घर वालों में बड़ा प्रसन्न था।
आयत : 14
إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ
निश्चय उसने समझा था कि वह कभी (अल्लाह की ओर) वापस नहीं लौटेगा।
आयत : 15
بَلَىٰٓۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرٗا
क्यों नहीं, निश्चय उसका पालनहार उसे देख रहा था।[2]
2. (6-15) इन आयतों में इनसान को सावधान किया गया है कि तुझे भी अपने पालनहार से मिलना है। और धीरे-धीरे उसी की ओर जा रहा है। वहाँ अपने कर्मानुसार जिसे दाएँ हाथ में कर्म-पत्र मिलेगा, वह अपनों से प्रसन्न होकर मिलेगा। और जिसको बाएँ हाथ में कर्म-पत्र दिया जाएगा, तो वह विनाश को पुकारेगा। यह वही होगा जिसने माया मोह में क़ुरआन को नकार दिया था। और सोचा कि इस सांसारिक जीवन के पश्चात कोई जीवन नहीं आएगा।
आयत : 16
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ
मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़ (सूर्यास्त के बाद की लाली) की।
आयत : 17
وَٱلَّيۡلِ وَمَا وَسَقَ
तथा रात की और उसकी जो कुछ वह एकत्रित करती है!
आयत : 18
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ
तथा चाँद की, जब वह पूरा हो जाता है।
आयत : 19
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٖ
तुम अवश्य एक अवस्था से दूसरी अवस्था में स्थानांतरित होते रहोगे।
आयत : 20
فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
फिर उन्हें क्या हो गया है कि वे ईमान नहीं लाते?
आयत : 21
وَإِذَا قُرِئَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا يَسۡجُدُونَۤ۩
और जब उनके सामने क़ुरआन पढ़ा जाता है, तो सजदा नहीं करते।[3]
3. (16-21) इन आयतों में ब्रह्मांड के कुछ लक्षणों को साक्ष्य स्वरूप प्रस्तुत करके सावधान किया गया है कि जिस प्रकार यह ब्रह्मांड तीन स्थितियों से गुज़रता है, उसी प्रकार तुम्हें भी तीन स्थितियों से गुज़रना है : सांसारिक जीवन, फिर मरण, फिर परलोक का स्थायी जीवन जिसका सुख-दुख सांसारिक कर्मों के आधार पर होगा।
आयत : 22
بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُكَذِّبُونَ
बल्कि जिन्होंने कुफ़्र किया, वे (उसे) झुठलाते हैं।
आयत : 23
وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا يُوعُونَ
और अल्लाह सबसे अधिक जानने वाला है जो कुछ वे अपने भीतर रखते हैं।
आयत : 24
فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
अतः उन्हें एक दर्दनाक यातना की शुभ सूचना दे दो।
आयत : 25
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونِۭ
परंतु जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, उनके लिए कभी न समाप्त होने वाला बदला है।[4]
4. (22-25) इन आयतों में उनके लिए चेतावनी है, जो इन स्वभाविक साक्ष्यों के होते हुए क़ुरआन को न मानने पर अड़े हुए हैं। और उनके लिए शुभ सूचना है जो इसे मानकर विश्वास (ईमान) तथा सुकर्म की राह पर अग्रसर हैं।
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